Wednesday, May 13, 2020

मैं कौन हूँ


अपनी बकी नहीं बख़ाता हूँ
मन की कही सुनाता हूँ


हो पूछ रहे तुम
हूँ कौन मैं
तब तुम्हे ज़रा बतलाता हूँ


 वशिष्ठ गुरु का वंश मैं
अपने पितरों का अंश हूँ


तेज़ राम का कण मैं 
केलावती का प्राण हूँ
नूतन लता का जाया मैं
सत्य प्रकाश का मान हूँ


हूँ तीजा चारो पुत्रो में
बस्ता मुझमें दो पुत्रो सा तेज़ है
भ्राता मोहित और अनुज शिवम् शेष हैं


है जानती मेरी माँ सब 
मैं रोहित ही हूँ
बस ऋषभ से जाना जाता हूँ


सरगम की दूजी ताल मैं
हूँ ऋषियों के रूप समान मैं


तप त्याग करूणा और कर्म में
हूँ सर्व गुण सम्पन्न मैं


लो आज कलम उठा कर लिख दूं
क्यूं इन संघर्षों में भी मौन हूँ


है एक कसक छुपी मुझमें
है यह आस बंधी मुझमें
की इस देश के लिए 
मैं कुछ करना चाहता हूँ


है देशभक्ति का दीप जला मुझमें
यह संकल्प सधा हुआ मुझमें
बांध कर कफ़न सर पर,
मैं मृत्यु पर सवार हूँ


और इस जन्म-भूमि पर 
मर मिटने को तैयार हूँ


है नमन मेरा उन गुरुओं को
कारण जिनके कुछ बन पाया हूँ


पर सच है कम है
अब तक जो कुछ भी मैं
भारत मां के लिए कर पाया हूँ


बुनने को मैं त्याग की
एक नई ओढ़नी लाया हूँ


मैं तो बस एक चिंगारी हूँ
ज्वाला बनने आया हूँ....!!!

- ऋषभ वशिष्ठ

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