मैं कौन हूँ
अपनी बकी नहीं बख़ाता हूँ
मन की कही सुनाता हूँ
हो पूछ रहे तुम
हूँ कौन मैं
तब तुम्हे ज़रा बतलाता हूँ
वशिष्ठ गुरु का वंश मैं
अपने पितरों का अंश हूँ
तेज़ राम का कण मैं
केलावती का प्राण हूँ
नूतन लता का जाया मैं
सत्य प्रकाश का मान हूँ
हूँ तीजा चारो पुत्रो में
बस्ता मुझमें दो पुत्रो सा तेज़ है
भ्राता मोहित और अनुज शिवम् शेष हैं
है जानती मेरी माँ सब
मैं रोहित ही हूँ
बस ऋषभ से जाना जाता हूँ
सरगम की दूजी ताल मैं
हूँ ऋषियों के रूप समान मैं
तप त्याग करूणा और कर्म में
हूँ सर्व गुण सम्पन्न मैं
लो आज कलम उठा कर लिख दूं
क्यूं इन संघर्षों में भी मौन हूँ
है एक कसक छुपी मुझमें
है यह आस बंधी मुझमें
की इस देश के लिए
मैं कुछ करना चाहता हूँ
है देशभक्ति का दीप जला मुझमें
यह संकल्प सधा हुआ मुझमें
बांध कर कफ़न सर पर,
मैं मृत्यु पर सवार हूँ
और इस जन्म-भूमि पर
मर मिटने को तैयार हूँ
है नमन मेरा उन गुरुओं को
कारण जिनके कुछ बन पाया हूँ
पर सच है कम है
अब तक जो कुछ भी मैं
भारत मां के लिए कर पाया हूँ
बुनने को मैं त्याग की
एक नई ओढ़नी लाया हूँ
मैं तो बस एक चिंगारी हूँ
ज्वाला बनने आया हूँ....!!!
- ऋषभ वशिष्ठ
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