खुशियां ही तो है इतनी ही सही
क्यों इतना दर्द लिखा है इस मोहब्बत में
मोहब्बत ही तो है
कोई गुनाह तो नहीं
क्यों इतनी तड़पती है रूह इस मोहबब्त में
मोहब्बत ही तो है
कोई गुनाह तो नहीं
क्यों इतना बैचैन है दिल
मोहब्बत ही तो है
कोई गुनाह तो नहीं
खुशियां तो बहुत है उसकी मौजूदगी में
पर नहीं लिखा वो इन लकीरों में
चलो इतने में खुश रहते है
समझौता ही कर लेते है
मोहब्बत ही तो है
कोई गुनाह नहीं
चाहते कुबूल है उसे मेरी
पर में कभी नहीं
इज्जत की उसने
इज्जत से धनवान किया
चलो इतना तो है
इतना ही सही
सबर है अब की वो मेरे इर्द गिर्द तो है
सुकूून है अब
इतना ही सही
खुश हूं में
इतना ही सही
कुछ लोगों के नसीब में तो ये भी नहीं
चलो मेरी किस्मत में
कुछ तो है
इतना ही सही
अब रब से भी कोई
शिकवा नहीं
इतना तो है
इतना ही सही
मोहब्बत ही तो है
कोई गुनाह तो नहीं
वो है तो यहीं
चाहे दोस्त ही सही
खुशियां है बहुत
इतना ही सही
मोहब्बत ही तो है
कोई गुनाह तो नहीं
खुशियां है अब
इतना ही सही
सौम्या भारद्वाज
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