Monday, May 4, 2020

खुशियां ही तो है इतनी ही सही

क्यों इतना दर्द लिखा है इस मोहब्बत में
मोहब्बत ही तो है
कोई गुनाह तो नहीं

क्यों इतनी तड़पती है रूह इस मोहबब्त में
मोहब्बत ही तो है 
कोई गुनाह तो नहीं 

क्यों इतना बैचैन है दिल
मोहब्बत ही तो है 
कोई गुनाह तो नहीं

खुशियां तो बहुत है उसकी मौजूदगी में
पर नहीं लिखा वो इन लकीरों में
चलो इतने में खुश रहते है
समझौता ही कर लेते है
मोहब्बत ही तो है
कोई गुनाह नहीं

चाहते कुबूल है उसे मेरी 
पर में कभी नहीं
इज्जत की उसने 
इज्जत से धनवान किया
चलो इतना तो है 
इतना ही सही

सबर है अब की वो मेरे इर्द गिर्द तो है
सुकूून है अब
इतना ही सही 
खुश हूं में
इतना ही सही
कुछ लोगों के  नसीब में तो ये भी नहीं
चलो मेरी किस्मत में 
कुछ तो है 
इतना ही सही

अब रब से भी कोई 
शिकवा नहीं
इतना तो है 
इतना ही सही 

मोहब्बत ही तो है 
कोई गुनाह तो नहीं
वो है तो यहीं
चाहे दोस्त ही सही
खुशियां है बहुत 
इतना ही सही

मोहब्बत ही तो है 
कोई गुनाह तो नहीं
खुशियां है अब
इतना ही सही

सौम्या भारद्वाज

No comments:

Post a Comment