चल तो सही
क्यूं कर रहा चिंता है तू,
तू बांध कर...चंचल ये मन...
एक बार को..
चल तो सही.......
चल तो सही उस राह पर,
जिस राह थे..राम चले
तू चमक चांदनी छोड़ कर
घर छोड़ कर...कुछ देर को
किसी रावण के वास्ते..
मर्यादा के रास्ते
चल तो सही...
चल तो सही उस राह पर...
जिस राह थे...श्याम चले
तू चांद सा शीतल लिए...
मन में करुणा..भीतर लिए..
किसी अर्जुन के वास्ते..
रणभूमी के रास्ते...
चल तो सही
चल तो सही उस राह पर,
जिस राह थे, चन्द्र शेखर आज़ाद चले,
तू मतवाली चाल चल, लिए हाथो में
धनुष गदा और बाण चल...
है मात्र भूमि चीखती...
सुन...
उस चीख ही के वास्ते,
बलिदान के रास्ते...
चल तो सही....
चल तो सही उस राह पर,
जिस राह थे, कलाम चले
तू चेष्ठा को साध कर, कुछ और बाधा लांघ कर
करने को अम्बर में प्रकाश,
तू ज्ञान के इस तीर को, करदे अज्ञान के आर पार,
है तेरा रास्ता अब... चांद तारे ताकते,
किसी...चंद्रयान के वास्ते
चल तो सही.......
चल तो सही उस राह पर,
जिस राह थे, बोस चले
तू राष्ट्र के कल्याण को....चल एकता की चाल में...
हिम पर तिरंगा गाढ़ने, कुछ और शत्रु मारने...
नित देश की रक्षा ही में...
चल तो सही...
चल तो सही उस राह पर,
जिस राह थे..भगत सिंह चले,
तू फिर चटाने धूल... उस बैरी अरी को संघारने,
चूम कर फिर एक तिरंगा,अपनी धरा के वास्ते...
निज स्वतंत्रता के रास्ते...
चल तो सही...
चल तो सही उस राह पर,
जिस राह थे... गांधी चले...
लिए अहिंसा की ढाल चल...
साबरमती के लाल चल...
कर स्वच्छ मन.. तन पावन लिए...
तू सत्य का प्रकाश कर..
लिए हाथ में कलम..नए युग का आगाज़ कर..
एक राष्ट्र सुंदर जोड़ने, एक छवि सुंदर छोड़ने..
चल तो सही...
चल तो सही..
ऋषभ वशिष्ठ
क्यूं कर रहा चिंता है तू,
तू बांध कर...चंचल ये मन...
एक बार को..
चल तो सही.......
चल तो सही उस राह पर,
जिस राह थे..राम चले
तू चमक चांदनी छोड़ कर
घर छोड़ कर...कुछ देर को
किसी रावण के वास्ते..
मर्यादा के रास्ते
चल तो सही...
चल तो सही उस राह पर...
जिस राह थे...श्याम चले
तू चांद सा शीतल लिए...
मन में करुणा..भीतर लिए..
किसी अर्जुन के वास्ते..
रणभूमी के रास्ते...
चल तो सही
चल तो सही उस राह पर,
जिस राह थे, चन्द्र शेखर आज़ाद चले,
तू मतवाली चाल चल, लिए हाथो में
धनुष गदा और बाण चल...
है मात्र भूमि चीखती...
सुन...
उस चीख ही के वास्ते,
बलिदान के रास्ते...
चल तो सही....
चल तो सही उस राह पर,
जिस राह थे, कलाम चले
तू चेष्ठा को साध कर, कुछ और बाधा लांघ कर
करने को अम्बर में प्रकाश,
तू ज्ञान के इस तीर को, करदे अज्ञान के आर पार,
है तेरा रास्ता अब... चांद तारे ताकते,
किसी...चंद्रयान के वास्ते
चल तो सही.......
चल तो सही उस राह पर,
जिस राह थे, बोस चले
तू राष्ट्र के कल्याण को....चल एकता की चाल में...
हिम पर तिरंगा गाढ़ने, कुछ और शत्रु मारने...
नित देश की रक्षा ही में...
चल तो सही...
चल तो सही उस राह पर,
जिस राह थे..भगत सिंह चले,
तू फिर चटाने धूल... उस बैरी अरी को संघारने,
चूम कर फिर एक तिरंगा,अपनी धरा के वास्ते...
निज स्वतंत्रता के रास्ते...
चल तो सही...
चल तो सही उस राह पर,
जिस राह थे... गांधी चले...
लिए अहिंसा की ढाल चल...
साबरमती के लाल चल...
कर स्वच्छ मन.. तन पावन लिए...
तू सत्य का प्रकाश कर..
लिए हाथ में कलम..नए युग का आगाज़ कर..
एक राष्ट्र सुंदर जोड़ने, एक छवि सुंदर छोड़ने..
चल तो सही...
चल तो सही..
ऋषभ वशिष्ठ
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